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परिचय;
केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद की स्थापना 3 मार्च, 1960 को नई दिल्ली में हुई थी। इसके संस्थापक दूर-द्रष्टा स्व. श्री हरि बाबू कंसल थे। केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक तथा अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों, जीवन बीमा, खादी, ग्रामोद्योग तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत निगमों और अन्य स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारी/अधिकारी इसके सदस्य बन सकते हैं। दिल्ली के अतिरिक्त देश के अनेक नगरों में सैंकड़ों शाखाएं स्थापित हो चुकी हैं। जिसमें हजारों सदस्य हैं। हिन्दी परिषद का वार्षिक सदस्यता शुल्क 10रु0 मात्र है। किसी भी नगर अथवा कार्यालय में 50 सदस्य बन जाने पर केन्द्र की अनुमति से चुनाव सम्पन्न कराकर विधिवत् शाखा गठित की जा सकती है। सदस्यों को 'हिन्दी परिचय' पत्रिका की प्रतियां निःशुल्क तथा अन्य प्रकाशन रियायती मूल्य पर दिए जाते हैं। परिषद ने विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और कार्यालयों के कर्मचारियों की सुविधा के लिए अनेक प्रकाशन निकाले हैं जिनकी सहायता से कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग बहुत आसान हो गया है। वैज्ञानिक और तकनीकी कार्य के लिए भी काफी साहित्य प्रकाशित कराया है। विभिन्न विभागों में प्रयुक्त होने वाली शब्दावलियों के दीवारों पर टांगे जाने वाले चार्ट और पुस्तिकाएं भी प्रकाशित की गई हैं।
  '' हिन्दी परिचय'' नामक द्विमासिक पत्रिका से प्रेरणा लेकर अधिकारी और कर्मचारी सरलता से अपना सरकारी काम-काज हिन्दी में शुरू कर देते हैं।
    केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों में हिन्दी प्रयोग के प्रति रूचि उत्पन्न करने की और उनकी प्रवीणता बढ़ाने की दृष्टि से हर वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर हिन्दी में टाइपिंग, आशुलिपि, टिप्पण तथा प्रारूप लेखन, व्यवहार, निबन्ध तथा वाक् प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती रही हैं और इनमें सफलता प्राप्त करने वालों को विविध पदक, पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र आदि दिए जाते हैं। वैज्ञानिक तथा साहित्यक गोष्ठियों, हिन्दी व्यवहार प्रदर्शनियों, वैज्ञानिक तथा तकनीकी भाषण-माला आदि के आयोजन भी कराए जाते हैं। वैज्ञानिक तथा तकनीकी निबन्ध प्रतियोगिता द्वारा वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने का प्रयास जारी है।
     भारत सरकार के विभिन्न कार्यालयों में राजभाषा के नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए हर समय सहयोग तथा सुझाव तो परिषद द्वारा दिए ही जाते हैं, साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों की अलग-अलग अथवा सम्मिलित गोष्ठियां आयोजित करके उनकी कठिनाइयों का व्यावाहरिक हल निकालने का प्रयास भी किया जाता है। हिन्दी परिषद के सुझाव ठोस और सहज होते हैं इसलिए उसे सभी स्तर के कार्यालयों में सभी भाषा-भाषी अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग मिल रहा है।
सबका सहयोग लेना तथा सद्भावना से सतत कार्य करने की भावना भरना ही परिषद का मूल मन्त्र है।
मान्यताः

(1) विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और कार्यालयों में गठित राजभाषा कार्यान्वयन समितियों में हिन्दी परिषद की स्थानीय शाखा के प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में सम्मिलित करने के आदेश हैं।

(2) विभिन्न नगरों में गठित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों में भी हिन्दी परिषद के केन्द्र द्वारा नामित प्रतिनिधि रखे जाते हैं।

(3) मंत्रालयों में संबंधित मंत्री की अध्यक्षता में गठित हिन्दी सलाहकार समितियों में हिन्दी परिषद को प्रतिनिधित्व प्राप्त है।

(4) हिन्दी परिषद की साधारण सभा, कार्यसमिति और पुरस्कार वितरण समारोह में भाग लेने के लिए हिन्दी परिषद के पदाधिकारियों को विशेष आकस्मिक छुट्टी देने की व्यवस्था सरकार की ओर से है।

(5) परिषद की कुछ योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा विभाग) से अनुदान मिलता है।

 

 
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